सच्ची दोस्ती और विश्वास की कहानी: दो सच्चे दोस्त

Saroj Yadav
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दो मित्र और भालू

एक घने जंगल के पास एक छोटा-सा गांव था। वहां दो बचपन के दोस्त, अर्जुन और सूरज, रहते थे। दोनों का रिश्ता बहुत गहरा था, जैसे जान और जहान। वे हर काम साथ करते, हर खुशी और दुख बांटते।

एक दिन उन्होंने सोचा कि जंगल के उस पार का नज़ारा देखना चाहिए। कहते थे, वहां बहुत सुंदर झरना है। दोनों ने तय किया कि अगले दिन सुबह जंगल पार करेंगे।

सुबह हुई, और दोनों सफर पर निकल पड़े। चलते-चलते जंगल गहराने लगा और सूरज की रोशनी भी कम हो गई। तभी अचानक, एक भालू उनकी तरफ बढ़ने लगा। दोनों डर गए।

अर्जुन ने तुरंत पास के एक पेड़ पर चढ़ना शुरू कर दिया। सूरज को पेड़ों पर चढ़ना नहीं आता था। उसने अर्जुन से मदद मांगी, लेकिन अर्जुन ने कहा, मुझे भी डर लग रहा है। मैं खुद को नहीं बचा पाऊंगा अगर तुम्हें खींचने की कोशिश करूंगा।

सूरज ने जल्दी से सोचते हुए जमीन पर लेटने और सांस रोकने का नाटक किया, जैसा कि उसने कहीं सुना था कि भालू मरे हुए इंसान को नहीं छूता। भालू उसके पास आया, उसे सूंघा और कुछ पल बाद वहां से चला गया।

जब भालू चला गया, अर्जुन पेड़ से नीचे उतरा और हंसते हुए बोला, भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था! क्या उसने कोई खास बात बताई?

सूरज ने शांतिपूर्वक जवाब दिया, हां, उसने कहा कि जो दोस्त मुसीबत में साथ न दे, उसे दोस्त नहीं समझना चाहिए।

यह सुनकर अर्जुन शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि सच्चा दोस्त वही होता है जो हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहे।

उस दिन के बाद सूरज ने अर्जुन से दूरी बना ली और अर्जुन ने अपनी गलती से सीख लेकर खुद को बदलने का प्रयास किया।

इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है की सच्ची दोस्ती,

विश्वास और साथ निभाने पर आधारित होती है। मुश्किल समय में ही सच्चे दोस्त की पहचान होती है।

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Written by Saroj Yadav

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